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"आदमी को शक है / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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सुबह फक है
रोशनी गफ है
आदमी को शक है
सुबह न होने का
रोशनी न होने का

रचनाकाल: २८-०७-१९६७