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"उपन्यास-दो / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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15:15, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
पस्त हो गई हैं
हाथ की अँगुलियाँ
गाँठ की पर्त खोलते खोलते
अँगूठे
अब भी खड़े हैं
संघर्ष में सिर कटाए
आदमी का सिर
विध्वंस से बचाने के लिए
रचनाकाल: २५-११-१९६८