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"उठ गया है समय का परदा / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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22:10, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

हंस
तैरते हैं
पानी में

हंस
और पानी
प्रसन्न हैं दोनों
एक समान
एक आप्त आलिंगन में

हिरन की आँखों में
होता है मोर-पंखी नाच
और
नाच में
हिला है
मदन महाराज का
सुघर सिर-मौर

अब
मिल गए हैं
प्राण और पुकार
स्वप्न और
सौंदर्य के रमण में
उठ गया है
समय का परदा
द्वैत से अद्वैत
हो गए हैं
पुरुष और प्रकृति

२४-०३-१९७१