भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बस एक चुप सी लगी है / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार= गुलज़ार | संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> बस एक चुप सी लगी है, न…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:17, 11 जनवरी 2011 का अवतरण
बस एक चुप सी लगी है, नहीं उदास नहीं!
कहीं पे सांस रुकी है!
नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
कोई अनोखी नहीं, ऐसी ज़िन्दगी लेकिन!
खूब न हो, मिली जो खूब मिली है!
नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
सहर भी ये रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन!
हमीने शाम चुनी, हमीने शाम चुनी है!
नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
वो दासतां जो, हमने कही भी, हमने लिखी!
आज वो खुद से सुनी है!
नहीं उदास नहीं, बस एक चुप सी लगी है!!
गायकी:- हेमन्त कूमार
फ़िल्म:- सन्नाटा