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"जनता खाना / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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सौ पैसे में
‘जनता खाना’ खाकर मैंने जाना
अच्छा होता है ऐसे सरकार चलाना
जनवादी हो जाना
कम पैसे में भूख मिटाना
लोगों को राहत दे पाना

रचनाकाल: ०९-०५-१९७६