भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फूल हैं / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("फूल हैं / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:24, 14 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
फूल हैं
के अब के बसंत की हवा में
थरथराते हैं।
खिलते-खुलते भी
मंद मौन
प्रकाशित
मुस्कुराते हैं।
रचनाकाल: ०६-०२-१९७५