भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नेताओं को न्यौता! / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: शैलेन्द्र Category:कविताएँ Category:शैलेन्द्र ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ लीड...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार: [[शैलेन्द्र]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=शैलेन्द्र
[[Category:शैलेन्द्र]]
+
}}
 
+
[[Category:गीत]]
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
  

01:29, 28 जून 2008 का अवतरण


लीडर जी, परनाम तुम्हें हम मज़दूरों का,

हो न्यौता स्वीकार तुम्हें हम मज़दूरों का;

एक बार इन गन्दी गलियों में भी आओ,

घूमे दिल्ली-शिमला, घूम यहाँ भी जाओ!


जिस दिन आओ चिट्ठी भर लिख देना हमको

हम सब लेंगे घेर रेल के इस्टेशन को;

'इन्क़लाब' के नारों से, जय-जयकारों से--

ख़ूब करेंगे स्वागत फूलों से, हारों से !


दर्शन के हित होगी भीड़, न घबरा जाना,

अपने अनुगामी लोगों पर मत झुंझलाना;

हाँ, इस बार उतर गाड़ी से बैठ कार पर

चले न जाना छोड़ हमें बिरला जी के घर !


चलना साथ हमारे वरली की चालों में,

या धारवि के उन गंदे सड़ते नालों में--

जहाँ हमारी उन मज़दूरों की बस्ती है,

जिनके बल पर तुम नेता हो, यह हस्ती है !


हम तुमको ले साथ चलेंगे उस दुनिया में,

सुकुमारी बम्बई पली है जिस दुनिया में,

यह बम्बई, आज है जो जन-जन को प्यारी,

देसी - परदेसी के मन की राजकुमारी !