भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रेत री पुकार / मंगत बादल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{KKGlobal}}
 
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=मंगत बादल
+
|रचनाकार=मंगत बादल
|संग्रह=
+
}}
 +
 
 +
{{KKPustak
 +
|चित्र=
 +
|नाम=
 +
|रचनाकार=[[मंगत बादल]]
 +
|प्रकाशक=
 +
|वर्ष=
 +
|भाषा= राजस्थानी
 +
|विषय= कविताएँ
 +
|शैली= छंद मुक्त
 +
|पृष्ठ=
 +
|ISBN=
 +
|विविध=  
 
}}
 
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<Poem>
 
थे कदी सुणी है-
 
रेत री पुकार
 
तिस मरती रेत री
 
पाणी जठै
 
एक सोवणो सुपनो है
 
हारी-थाकी आंख्यां रो ।
 
एक-एक बूंद तांई तरसती
 
फेफी जम्यां होटां पर जीभ फिरांवती
 
रेत रो
 
पाणी सूं कितणो हेत हुवै
 
थे स्यात कोनी जाणो ।
 
आभो तकती आंख्यां में
 
मेह सूं कितणो नेह हुवै
 
ऐ खेजड़ा अर फोगला जाणै
 
या जाणै रोहिड़ो
 
जिको काळी-पीली आंधी में बी
 
मुळकतो-मुळकतो गीत गा देवै
 
रेत री संवेदनशीलता रा
 
रेत –
 
कोरी रेत नईं है
 
बठै बी थानै
 
रंगीन कल्पनावां मिलसी ;
 
जिकै दिन आ रेत
 
अंगड़ाई लेसी
 
इतिहास बदळ ज्यावैलो
 
थे देखता रहज्यो
 
अठै बी
 
नुंईं-नुंईं कळियां खिलसी ।
 
</poem>
 

04:11, 15 जनवरी 2011 का अवतरण


General Book.png
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार मंगत बादल
प्रकाशक
वर्ष
भाषा राजस्थानी
विषय कविताएँ
विधा छंद मुक्त
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।