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"भूलना-सीखना / मालचंद तिवाड़ी" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हें भूलने के पथ पर चलता
 
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03:51, 16 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

बहुत मुश्किल नहीं होता सीखना
सारा संसार सीखता है
सीख-सीख कर चलता है
नया होता रहता है
बालक से आइन्सटाईन तलक
बहुत मुश्किल हो जाता है भूलना
इस शास्त्र की तो एक ही पण्डित थीं तुम
भूल कर मुझे भूलना सिखला दिया
देखो, मैं योगी हो गया
भूल गया संसार को
तुम्हें भूलने के पथ पर चलता

अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा