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"हिमालय ने पुकारा / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर

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चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा
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'''यह कविता अधूरी है। कृपया आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें ।'''
हो जाय पराधिन नहीं गंग की धारा
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शंकर की पुरी चीन ने सेना को उतारा
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चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा
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हो जाए पराधीन नहीं गंगा की धारा
 
गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा  
 
गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा  
हम भाई समझते जिसे दुनियां में उलझ के
 
  
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हम भाई समझते जिसे दुनिया में उलझ के
 
वह घेर रहा आज हमें बैरी समझ के  
 
वह घेर रहा आज हमें बैरी समझ के  
 
चोरी भी करे और करे बात गरज के  
 
चोरी भी करे और करे बात गरज के  

23:19, 20 जनवरी 2011 का अवतरण

यह कविता अधूरी है। कृपया आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें ।

शंकर की पुरी चीन ने सेना को उतारा
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा
 
हो जाए पराधीन नहीं गंगा की धारा
गंगा के किनारों को शिवालय ने पुकारा

हम भाई समझते जिसे दुनिया में उलझ के
वह घेर रहा आज हमें बैरी समझ के
चोरी भी करे और करे बात गरज के

बर्फों मे पिघलने को चला लाल सितारा
चालीस करोड़ों को हिमालय ने पुकारा