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"देह-दण्ड / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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17:51, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

देह-दंड
मैं भोग रहा हूँ,
फिर भी,
अपने
पुष्ट प्राण से,
स्वागत करता हूँ-
कहता हूँ;
आएँ,
बैठें,
मुझे सुनाएँ-
नई-नई
अपनी
रचनाएँ,
मुझे रिझाएँ,
देह-दंड की
व्यथा मिटाएँ।

रचनाकाल: ०१-०४-१९९०