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"पात पुरातन लेकर / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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17:51, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
पात पुरातन लेकर
पतझर चला गया
प्रिय बसंत अब आया
दंड-देहधारी विटपों का
दल किसलय से हरसाया।
फूला,
महका,
लोक-तंत्र को भाया।
कविता-कोकिल ने
छंदों में गाया।
रचनाकाल: ०३-०२-१९९१