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"साथ क्या लाया था मैं और साथ क्या ले जाऊँगा / चाँद शुक्ला हदियाबादी" के अवतरणों में अंतर
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19:39, 25 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
साथ क्या लाया था मैं और साथ क्या ले जाऊँगा
जिनके काम आया हूँ मैं उनकी दुआ ले जाऊँगा
ज़िंदगी काटी है मैंने अपनी सहरा के करीब
एक समुन्दर है जो साथ अपने बहा ले जाऊँगा
तेरे माथे की शिकन को मैं मिटाते मिट गया
अपने चेहरे पर मैं तेरा ग़म सजा ले जाऊँगा
जब तलक ज़िन्दा रहा बुझ-बुझ के मैं जलता रहा
शम्अ दिल में तेरी चाहत की जला ले जाऊँगा
बिन पलक झपके चकोरी-सी मुझे तकती है तू
अपनी पलकों पर तुझे मैं भी सजा ले जाऊँगा
चाँद तो है आसमाँ पर, मैं ज़मीं का `चाँद' हूँ
मैं ज़मीं को रूह में अपनी बसा ले जाऊँगा