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"वोट / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले<br>
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पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले
तोह्के खेतवा दिअइबो<br>
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तोह्के खेतवा दिअइबो
ओमें फसली उगइबो ।<br>
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ओमें फसली उगइबो ।
बजडा के रोटिया देई -देई नुनवा<br>
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बजडा के रोटिया देई-देई नुनवा
सोचलीं कि अब त बदली कनुनवा।<br>
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सोचलीं कि अब त बदली कनुनवा ।
अब जमीनदरवा के पनही न सहबो,<br>
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अब जमीनदरवा के पनही न सहबो,
अब ना अकारथ बहे पाई खूनवा।<br><br>
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अब ना अकारथ बहे पाई खूनवा ।
  
दुसरे चुनउवा में जब उपरैलें त बोले लगले ना<br>
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दुसरे चुनउवा में जब उपरैलें त बोले लगले ना
तोहके कुँइयाँ खोनइबो<br>
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तोहके कुँइयाँ खोनइबो
सब पियसिया मेटैबो<br>
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सब पियसिया मेटैबो
ईहवा से उड़ी- उड़ी ऊंहा जब गैलें<br>
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ईहवा से उड़ी- उड़ी ऊंहा जब गैलें
सोंचलीं ईहवा के बतिया भुलैले<br>
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सोंचलीं ईहवा के बतिया भुलैले
हमनी के धीरे से जो मनवा परैलीं<br>
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हमनी के धीरे से जो मनवा परैलीं
जोर से कनुनिया-कनुनिया चिलैंले ।<br><br>
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जोर से कनुनिया-कनुनिया चिलैंले ।
  
तीसरे चुनउवा में चेहरा देखवलें त बोले लगले ना<br>
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तीसरे चुनउवा में चेहरा देखवलें त बोले लगले ना
तोहके महल उठैबो<br>
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तोहके महल उठैबो
ओमें बिजुरी लागैबों<br>
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ओमें बिजुरी लागैबों
चमकल बिजुरी त गोसैयां दुअरिया<br>
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चमकल बिजुरी त गोसैयां दुअरिया
हमरी झोपडिया मे घहरे अन्हरिया<br>
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हमरी झोपडिया मे घहरे अन्हरिया
सोंचलीं कि अब तक जेके चुनलीं<br>
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सोंचलीं कि अब तक जेके चुनलीं
हमके बनावे सब काठ के पुतरिया ।<br><br>
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हमके बनावे सब काठ के पुतरिया ।
  
अबकी टपकिहें त कहबों कि देख तूं बहुत कइलना<br>
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अबकी टपकिहें त कहबों कि देख तूं बहुत कइलना
तोहके अब ना थकईबो<br>
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तोहके अब ना थकईबो
अपने हथवा उठईबो<br>
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अपने हथवा उठईबो
हथवा में हमरे फसलिया भरल बा<br>
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हथवा में हमरे फसलिया भरल बा
हथवा में हमरे लहरिया भरलि बा<br>
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हथवा में हमरे लहरिया भरलि बा
एही हथवा से रुस औरी चीन देश में<br>
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एही हथवा से रुस औरी चीन देश में
लूट के किलन पर बिजुरिया गिरल बा ।<br>
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लूट के किलन पर बिजुरिया गिरल बा ।
जब हम ईंहवो के किलवा ढहैबो त एही हाथें ना<br>
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जब हम ईंहवो के किलवा ढहैबो त एही हाथें ना
तोहके मटिया मिलैबों<br>
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तोहके मटिया मिलैबों
ललका झंडा फहरैबों<br>
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ललका झंडा फहरैबों
त एही हाथें ना<br>
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त एही हाथें ना
 
पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले ....
 
पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले ....
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22:43, 27 जनवरी 2011 का अवतरण

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पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले
तोह्के खेतवा दिअइबो
ओमें फसली उगइबो ।
बजडा के रोटिया देई-देई नुनवा
सोचलीं कि अब त बदली कनुनवा ।
अब जमीनदरवा के पनही न सहबो,
अब ना अकारथ बहे पाई खूनवा ।

दुसरे चुनउवा में जब उपरैलें त बोले लगले ना
तोहके कुँइयाँ खोनइबो
सब पियसिया मेटैबो
ईहवा से उड़ी- उड़ी ऊंहा जब गैलें
सोंचलीं ईहवा के बतिया भुलैले
हमनी के धीरे से जो मनवा परैलीं
जोर से कनुनिया-कनुनिया चिलैंले ।

तीसरे चुनउवा में चेहरा देखवलें त बोले लगले ना
तोहके महल उठैबो
ओमें बिजुरी लागैबों
चमकल बिजुरी त गोसैयां दुअरिया
हमरी झोपडिया मे घहरे अन्हरिया
सोंचलीं कि अब तक जेके चुनलीं
हमके बनावे सब काठ के पुतरिया ।

अबकी टपकिहें त कहबों कि देख तूं बहुत कइलना
तोहके अब ना थकईबो
अपने हथवा उठईबो
हथवा में हमरे फसलिया भरल बा
हथवा में हमरे लहरिया भरलि बा
एही हथवा से रुस औरी चीन देश में
लूट के किलन पर बिजुरिया गिरल बा ।
जब हम ईंहवो के किलवा ढहैबो त एही हाथें ना
तोहके मटिया मिलैबों
ललका झंडा फहरैबों
त एही हाथें ना
पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले ....