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 {{KKRacahnaKKRachna||रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
}}
[[category: कविताएँ]]{{KKCatKavita}}<poem>किसी रात को <br> मेरी नींद आचानक चानक उचट जाती है <br> आंख आँख खुल जाती है <br> मैं सोचने लगता हूँ कि <br> जिन वैज्ञानिकों ने अणु अस्त्रों का <br> आविष्कार किया था <br> वे हिरोशिमा-नागासाकी के भीषण <br> नरसंहार के समाचार सुनकर <br> रात को कैसे सोये सोए होंगे? <br> क्या उन्हें एक क्षण के लिये लिए सही <br> ये अनुभूति नहीं हुई कि <br> उनके हाथों जो कुछ हुआ <br> अच्छा नहीं हुआ! <br><br>
यदि हुई, तो वक़्त उन्हें कटघरे में खड़ा नहीं करेगा <br> किन्तु यदि नहीं हुई तो इतिहास उन्हें <br> कभी माफ़ नहीं करेगा! <br><br/poem>