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"एक सूं मत सारो / कृष्ण वृहस्पति" के अवतरणों में अंतर
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जे आपरै
भोगै खावै तो
देखो हमेस दो सूं बेसी सुपनां
क्यूं कै
एक सुपनो तो तूटज्या है
पसवाड़ां रै मांय
अनै दूजो
बारियै रै हेलै सूं।
जेकर आप धार’ई ल्यो
कै किणी नै चावणो ईज है
तो आपनै राखणी चाईजै
आंख्यां री
दो सूं बेसी जोड़ी
क्यूं कै
एक तो पथरा जावै उडीक मांय
अनै दूजी रै ऐवज आ जावै
दो जूण रो आटो ।