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"जब देखता हूं / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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05:04, 3 फ़रवरी 2011 का अवतरण
धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूँ
जव देखता हूँ आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूँ
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूँ
अपना दुख -
यह धरती : मेरी माँ !
यह आकाश : मेरा पिता !
अनुवाद : नीरज दइया