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"पहले दिल से निकाल देते हैं / श्याम कश्यप बेचैन" के अवतरणों में अंतर
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15:54, 4 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
पहले दिल से निकाल देते हैं
फिर हम उनकी मिसाल देते हैं
ताकि टिक जाएँ और अंगारे
राख ऊपर से डाल देते हैं
उनके चेहरे बुझे-बुझे से हैं
जो सुलगते सवाल देते हैं
जब भी रोटी की बात चलती है
आप नारे उछाल देते हैं
क्या यहाँ आदमी नहीं बसते
नाक पर क्यों रुमाल देते हैं
पूछिये मत सिफ़त पसीनों की
ये लहू को खंगाल देते हैं
ये भी मुद्दा है कोई कह-कह के
लोग मसले को टाल देते हैं
सच वो बेवा है अपने लोग जिसे
घर से बाहर निकाल देते हैं