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"कविता-1 / भरत ओला" के अवतरणों में अंतर
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13:19, 5 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
उनकी नजर में 
कविता लिखना फैशन है
तभी तो
पड़ौस की ‘मेम’
लिख-लिख कविताएं
उड़ा देती है
पतंग की तरह
मैंने 
कितनी बार
लिखनी चाही कविता
पर 
नहीं लिखी गई
आज
जब कौए ने 
ऊँट की टाकर<ref>घाव</ref> पर 
मारी चोंच
तो पता नहीं
कहां से आकर
पसर गई कविता 
उसके नंगे घावों पर
शब्दार्थ
<references/> 
	
	

