भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पिता की तस्वीर / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
(कोई अंतर नहीं)

22:03, 11 जून 2007 का अवतरण

रचनाकार: मंगलेश डबराल

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


पिता की छोटी छोटी बहुत सी तस्वीरें

पूरे घर में बिखरी हैं

उनकी आँखों में कोई पारदर्शी चीज़

साफ़ चमकती है

वह अच्छाई है या साहस

तस्वीर में पिता खाँसते नहीं

व्याकुल नहीं होते

उनके हाथ पैर में दर्द नहीं होता

वे झुकते नहीं समझौते नहीं करते


एक दिन पिता अपनी तस्वीर की बग़ल में

खड़े हो जाते हैं और समझाने लगते हैं

जैसे अध्यापक बच्चों को

एक नक्शे के बारे में बताता है

पिता कहते हैं मैं अपनी तस्वीर जैसा नहीं रहा

लेकिन मैंने जो नए कमरे जोड़े हैं

इस पुराने मकान में उन्हें तुम ले लो

मेरी अच्छाई ले लो उन बुराइयों से जूझने के लिए

जो तुम्हें रास्ते में मिलेंगी

मेरी नींद मत लो मेरे सपने लो


मैं हूँ कि चिन्ता करता हूँ व्याकुल होता हूँ

झुकता हूँ समझौते करता हूँ

हाथ पैर में दर्द से कराहता हूँ

पिता की तरह खाँसता हूँ

देर तक पिता की तस्वीर देखता हूँ ।


(1991)