भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुमशुदा / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
(कोई अंतर नहीं)

12:10, 12 जून 2007 का अवतरण

रचनाकार: मंगलेश डबराल

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~



शहर के पेशाबघरों और अन्य लोकप्रिय जगहों में

उन गुमशुदा लोगों की तलाश के पोस्टर

अब भी चिपके दिखते हैं

जो कई बरस पहले दस बारह साल की उम्र में

बिना बताए घरों से निकले थे

पोस्टरों के अनुसार उनका क़द मँझोला है

रंग गोरा नहीं गेहुँआ या साँवला है

हवाई चप्पल पहने हैं

चेहरे पर किसी चोट का निशान है

और उनकी माँएँ उनके बगै़र रोती रह्ती हैं

पोस्टरों के अन्त में यह आश्वासन भी रहता है

कि लापता की ख़बर देने वाले को मिलेगा

यथासंभव उचित ईनाम


तब भी वे किसी की पहचान में नहीं आते

पोस्टरों में छपी धुँधँली तस्वीरों से

उनका हुलिया नहीं मिलता

उनकी शुरुआती उदासी पर

अब तकलीफ़ें झेलने की ताब है

शहर के मौसम के हिसाब से बदलते गए हैं उनके चेहरे

कम खाते कम सोते कम बोलते

लगातार अपने पते बदलते

सरल और कठिन दिनों को एक जैसा बिताते

अब वे एक दूसरी ही दुनिया में हैं

कुछ कुतूहल के साथ

अपनी गुमशुदगी के पोस्टर देखते हुए

जिन्हें उनके माता पिता जब तब छ्पवाते रहते हैं

जिनमें अब भी दस या बारह

लिखी होती है उनकी उम्र ।


(1993)