भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सर झुकओगे तो पत्थर / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बशीर बद्र }} Category:ग़ज़ल <poem> सर झुकाओगे तो पत्थर दे...)
 
छो
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=बशीर बद्र
 
|रचनाकार=बशीर बद्र
 +
|संग्रह=उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्र
 
}}  
 
}}  
[[Category:ग़ज़ल]]
+
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
 
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।  
 
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।  
पंक्ति 9: पंक्ति 10:
  
 
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,  
 
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,  
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा ।  
+
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।  
  
 
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,  
 
कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,  
 
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।  
 
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।  
  
मैं खुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,  
+
मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,  
 
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।  
 
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।  
  
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बु, ज़मीनो-आस्माँ,  
+
सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,  
 
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
 
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।
 +
 +
रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर.
 +
क्या खबर थी मुझसे वो इतना खफा हो जायेगा.
 +
 
</poem>
 
</poem>

14:57, 14 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा ।
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा ।

हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है,
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा ।

कितना सच्चाई से, मुझसे ज़िंदगी ने कह दिया,
तू नहीं मेरा तो कोई, दूसरा हो जाएगा ।

मैं ख़ुदा का नाम लेकर, पी रहा हूँ दोस्तो,
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा ।

सब उसी के हैं, हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आस्माँ,
मैं जहाँ भी जाऊँगा, उसको पता हो जाएगा ।

रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर.
क्या खबर थी मुझसे वो इतना खफा हो जायेगा.