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"तेलंगाना / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर

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दयारे हिन्द का वो राहबर<ref>नेता</ref> तेलंगाना
 
दयारे हिन्द का वो राहबर<ref>नेता</ref> तेलंगाना
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बुला रहा है बसिम्ते-दिगर<ref>दूसरी दिशा में</ref> तेलंगाना
 
बुला रहा है बसिम्ते-दिगर<ref>दूसरी दिशा में</ref> तेलंगाना
 
वो इन्क़लाब का पैग़म्बर तेलंगाना ।
 
वो इन्क़लाब का पैग़म्बर तेलंगाना ।
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           इमाम-ए तिश्तालबाँ<ref>प्यासे अधर</ref> ख़िज्रे राहे आबे हयात<ref>अमृत</ref>
 
           इमाम-ए तिश्तालबाँ<ref>प्यासे अधर</ref> ख़िज्रे राहे आबे हयात<ref>अमृत</ref>
          अँधेरी रात के सीने में मशालों की बरात ।
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        अँधेरी रात के सीने में मशालों की बरात ।
 
           मेरा सिबात<ref>दृढ़ता</ref> मेरी कायनात मेरी हयात
 
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           सलाम महर-ए बग़ावत<ref>विद्रोही सूर्य</ref>, सलाम माह-ए नजात<ref>आज़ादी का चाँद</ref>।
 
           सलाम महर-ए बग़ावत<ref>विद्रोही सूर्य</ref>, सलाम माह-ए नजात<ref>आज़ादी का चाँद</ref>।
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सियाह रात में मक़्तूल<ref>जिनका वध किया गया हो</ref> इस्मतों का ख़रोश<ref>हाहाकार</ref>
 
सियाह रात में मक़्तूल<ref>जिनका वध किया गया हो</ref> इस्मतों का ख़रोश<ref>हाहाकार</ref>
 
सियाह रात में बाग़ी अवाम बर्क़बदोश<ref>बिजलियाँ छिपाए हुए</ref> ।
 
सियाह रात में बाग़ी अवाम बर्क़बदोश<ref>बिजलियाँ छिपाए हुए</ref> ।
          उठे हैं तेग़ बकफ़<ref>हाथ में तलवार लिए हुए</ref> यूँ बसद हज़ार जलाल<ref>प्रताप, तेज</ref>
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        वो कोह वो दश्त के फ़रज़न्द<ref>पुत्र</ref> खेतियों के लाल ।
 
           चमक रही है दराँती उछल रहे हैं कुदाल
 
           चमक रही है दराँती उछल रहे हैं कुदाल
 
           बिनाए क़स्रे इमारत शिकिस्ता-व-पामाल<ref>टूट कर गिरी हुई</ref> ।
 
           बिनाए क़स्रे इमारत शिकिस्ता-व-पामाल<ref>टूट कर गिरी हुई</ref> ।
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लरज़-लरज़ के गिरे सक़फ-ओ-बम-ए ज़रदारी<ref>धन रूपी छत की दीवारें</ref>
 
लरज़-लरज़ के गिरे सक़फ-ओ-बम-ए ज़रदारी<ref>धन रूपी छत की दीवारें</ref>
 
है पाश-पाश निज़ाम-ए हलाकू व ज़ारी<ref>ज़ालिम बादशाह और जार</ref>
 
है पाश-पाश निज़ाम-ए हलाकू व ज़ारी<ref>ज़ालिम बादशाह और जार</ref>
 
पड़ी है फ़र्क़-ए मुबारक<ref>बादशाह के माथे पर</ref> पे ज़रबतेकारी<ref>गहरी चोटें</ref>
 
पड़ी है फ़र्क़-ए मुबारक<ref>बादशाह के माथे पर</ref> पे ज़रबतेकारी<ref>गहरी चोटें</ref>
 
हुज़ूरे आसिफ़े साबे<ref>आसिफ़जाही खानदान के सातवें बादशाह</ref> पे है ग़शी तारी ।
 
हुज़ूरे आसिफ़े साबे<ref>आसिफ़जाही खानदान के सातवें बादशाह</ref> पे है ग़शी तारी ।
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           बदल रही है ये रंज-ओ अज़ाब की दुनिया
 
           बदल रही है ये रंज-ओ अज़ाब की दुनिया
 
           उभर रही है नए आफ़ताब की दुनिया ।
 
           उभर रही है नए आफ़ताब की दुनिया ।

18:23, 15 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

दयारे हिन्द का वो राहबर<ref>नेता</ref> तेलंगाना
बना रहा है नई इक सहर तेलंगाना ।
बुला रहा है बसिम्ते-दिगर<ref>दूसरी दिशा में</ref> तेलंगाना
वो इन्क़लाब का पैग़म्बर तेलंगाना ।

          इमाम-ए तिश्तालबाँ<ref>प्यासे अधर</ref> ख़िज्रे राहे आबे हयात<ref>अमृत</ref>
         अँधेरी रात के सीने में मशालों की बरात ।
          मेरा सिबात<ref>दृढ़ता</ref> मेरी कायनात मेरी हयात
          सलाम महर-ए बग़ावत<ref>विद्रोही सूर्य</ref>, सलाम माह-ए नजात<ref>आज़ादी का चाँद</ref>।

सियाह रात जराइम पनाह<ref>अपराधों को छिपाने वाली</ref> ज़ुल्म बदोश<ref>अत्याचारों को छिपाए हुए</ref>
सियाह रात में बदकार मस्त और मदहोश ।
सियाह रात में मक़्तूल<ref>जिनका वध किया गया हो</ref> इस्मतों का ख़रोश<ref>हाहाकार</ref>
सियाह रात में बाग़ी अवाम बर्क़बदोश<ref>बिजलियाँ छिपाए हुए</ref> ।

         उठे हैं तेग़ बकफ़<ref>हाथ में तलवार लिए हुए</ref> यूँ बसद हज़ार जलाल<ref>प्रताप, तेज</ref>
         वो कोह वो दश्त के फ़रज़न्द<ref>पुत्र</ref> खेतियों के लाल ।
          चमक रही है दराँती उछल रहे हैं कुदाल
          बिनाए क़स्रे इमारत शिकिस्ता-व-पामाल<ref>टूट कर गिरी हुई</ref> ।

लरज़-लरज़ के गिरे सक़फ-ओ-बम-ए ज़रदारी<ref>धन रूपी छत की दीवारें</ref>
है पाश-पाश निज़ाम-ए हलाकू व ज़ारी<ref>ज़ालिम बादशाह और जार</ref>
पड़ी है फ़र्क़-ए मुबारक<ref>बादशाह के माथे पर</ref> पे ज़रबतेकारी<ref>गहरी चोटें</ref>
हुज़ूरे आसिफ़े साबे<ref>आसिफ़जाही खानदान के सातवें बादशाह</ref> पे है ग़शी तारी ।

          बदल रही है ये रंज-ओ अज़ाब की दुनिया
          उभर रही है नए आफ़ताब की दुनिया ।
          नए अवाम, नई आब-ओ-ताब की दुनिया
          वो रंगो नूर की महफ़िल शबाब की दुनिया ।

सलाम सुर्ख़ शहीदों की सरज़मीन सलाम
सलाम अज़्म-ए-बुलन्द<ref>भीष्म प्रतिज्ञा</ref>, आहनी यक़ीन सलाम ।
मुजाहिदों की चमकती हुई जबीन<ref>मस्तक</ref> सलाम
दयारे हिन्द की महबूब अर्ज़ चीन<ref>धरती</ref> सलाम ।

शब्दार्थ
<references/>