भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उजाला / मंगत बादल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>अँधेरे में जो कदम बढ़ते हैं वे उजाले की आस्था से भरपूर होते हैं …) |
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | <poem>अँधेरे में जो कदम बढ़ते हैं | + | <poem>अँधेरे में |
+ | जो कदम बढ़ते हैं | ||
वे उजाले की आस्था से | वे उजाले की आस्था से | ||
भरपूर होते हैं | भरपूर होते हैं | ||
पंक्ति 11: | पंक्ति 12: | ||
ज्योति के चमचमाते | ज्योति के चमचमाते | ||
हस्ताक्षर कर देते हैं | हस्ताक्षर कर देते हैं | ||
− | + | उजाला उनके हाथ में आकर | |
एक शस्त्र बन जाता है | एक शस्त्र बन जाता है | ||
− | जो | + | जो अंधेरे के खिलाफ |
चाकू की तरह तन जाता है | चाकू की तरह तन जाता है | ||
हथेली पर रखे आंवले | हथेली पर रखे आंवले | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 26: | ||
एक दिन मशाल बन जाते हैं ! | एक दिन मशाल बन जाते हैं ! | ||
फिर लोग उनके रोशनी में | फिर लोग उनके रोशनी में | ||
− | अपना रास्ता बनाते हैं | + | अपना रास्ता बनाते हैं ।</poem> |
− | + | ||
− | + | ||
− | </poem> | + |
02:29, 16 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण
अँधेरे में
जो कदम बढ़ते हैं
वे उजाले की आस्था से
भरपूर होते हैं
अँधेरे का मतलब
उनके लिए बाधा होता है
और उजाले का
अर्थ होता है संघर्ष
इसीलिये वे सहर्ष
हर चुनौती को स्वीकार लेते हैं
और अँधेरे के पृष्ठ पर
ज्योति के चमचमाते
हस्ताक्षर कर देते हैं
उजाला उनके हाथ में आकर
एक शस्त्र बन जाता है
जो अंधेरे के खिलाफ
चाकू की तरह तन जाता है
हथेली पर रखे आंवले
या किताब के
खुले पृष्ठ की तरह
उनके सामने
सब कुछ इतना स्पष्ट होता है
की गंतव्य स्वयं
उनके चरणों को धोता है
ऐसे लोग खुद
एक दिन मशाल बन जाते हैं !
फिर लोग उनके रोशनी में
अपना रास्ता बनाते हैं ।