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Kavita Kosh से
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घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है ।
तुमको पत्थर मारेँगे मारेंगे सब रुसवा तुम हो जाओगेमुझसे मिलने मत आओ मुझपे फतवा जारी है ।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मेँ में सब भाई हैँहैंइस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है ।
सारी दुनिया तेरी है तू ही सब का रखवाला हैमुसलमान का अल्लाह है और हिन्दू का गिरधारी है भारतवासी कुछ दिन से रूखी रुखी रोटी खाते हैँहैंपानी पीकर जीते हैँ हैं मँहगी सब तरकारी है । नया विधेयक लाओ कि बूढ़े अब आराम करेंदेश युवाओं को दे दो अब नए ख़ून की बारी है
जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा-फिरा कर बात करो
केवल सच्ची बातेँ बातें करना बहुत बड़ी बीमारी है ।
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