भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मोह भंग(कविता का अंश ) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रकुंवर बर्त्वाल |संग्रह=मेध नंदिनी / चन्द…)
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
मोह भंग(कविता का अंश )  
+
'''कविता का एक अंश ही उपलब्ध है। शेष कविता आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें ।'''मोह भंग(कविता का अंश )  
 
खुली आंख जब, ईश्वर के चरणों में आये,
 
खुली आंख जब, ईश्वर के चरणों में आये,
 
रूप और आनन्द ज्ञान तब तुमने पाये।
 
रूप और आनन्द ज्ञान तब तुमने पाये।

16:43, 20 फ़रवरी 2011 का अवतरण

कविता का एक अंश ही उपलब्ध है। शेष कविता आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें ।मोह भंग(कविता का अंश )
खुली आंख जब, ईश्वर के चरणों में आये,
रूप और आनन्द ज्ञान तब तुमने पाये।
करता हूं स्वीकार प्रभेा! मैं न्याय तुम्हारा ,
करता हूं स्वीकार ,बेडियां ये, यह कारा।
सभी दिशायें मित्र , शत्रु है आज न कोई,
पाप नहीं प्राणों में मेरे लाज न कोई,
कोई क्या सोचता न कुछ चिंता है इसकी,
वस्तु नहीं ऐसी मुझे चाह हो कुछ जिसकी।