भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जेल का गिलास / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=अरूण कमल
+
|रचनाकार=अरुण कमल
 +
|संग्रह = सबूत / अरुण कमल
 
}}
 
}}
 +
  
  

18:33, 19 मई 2008 का अवतरण



मुझको जो गिलास मिला है

अल्मुनियम का पिचका गन्दा गिलास

उस पर एक नाम खुदा है-- रामरतन

सफ़ाई मज़दूर संथाल परगना


आज जिस गिलास में मैं पानी पी रहा हूँ

उसी में पिया था पानी इस मज़दूर ने

दफ़ादार चौकीदार ने

बिजली मज़दूर स्कूल शिक्षक छात्र नौजवानों ने


एक ही नदी से पिया है जल सब ने

एक ही रास्ते चले सारे पाँव

जिसने भी रक्खा इस रास्ते पर पाँव

सागर से जा मिला