भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जाना है / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (जाना है / अरूण कमल moved to जाना है / अरुण कमल) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अरुण कमल | |रचनाकार=अरुण कमल | ||
+ | |संग्रह = अपनी केवल धार / अरुण कमल | ||
}} | }} | ||
01:26, 19 मई 2008 का अवतरण
पहले भी देखा था यह फल
सूँघा था
चखा था बहुत बार
बचपन से ही
पर आज पहली बार जब देखा है
डाल पर पकते इस फल को
तभी जाना है असली रंग-स्वाद-गंध
इस छोटे-से फल के
धरती-आकाश तक फैले सम्बन्ध ।