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"मछुआरा/ प्रतिभा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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मछुआरा फिर से जाल समेटेगा !
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हो सावधान री, प्राणों की मछली ,
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तू कितनी बार बची आई ,फिसली ,
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हर बार नहीं बच पाता कोई भी ,
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चुक जातीं सब भूलें पिछली-अगली !
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बंसी में डोरी ,डोरी में काँटा ,
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हर बार नया भर चारा , फेंकेगा !
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मछुआरा फिर से जाल समेटेगा !
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गहरा पानी ,हर जगह जाल फैले ,
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क्या फँसी नहीं मछलियाँ कभी पहले ?
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इस बार अगर बच भी निकली तो क्या ,
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कुछ पल तल -सतहों को अपना कह ले !
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खेले बिन उसको चैन कहाँ  आये
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साँसों की डोरी झटक  लपेटेगा !
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फिर से मछुआरा जाल समेटेगा !
  
 
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08:50, 28 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

मछुआरा फिर से जाल समेटेगा !
हो सावधान री, प्राणों की मछली ,
तू कितनी बार बची आई ,फिसली ,
हर बार नहीं बच पाता कोई भी ,
चुक जातीं सब भूलें पिछली-अगली !
बंसी में डोरी ,डोरी में काँटा ,
हर बार नया भर चारा , फेंकेगा !
मछुआरा फिर से जाल समेटेगा !

गहरा पानी ,हर जगह जाल फैले ,
क्या फँसी नहीं मछलियाँ कभी पहले ?
इस बार अगर बच भी निकली तो क्या ,
कुछ पल तल -सतहों को अपना कह ले !
खेले बिन उसको चैन कहाँ आये
साँसों की डोरी झटक लपेटेगा !
फिर से मछुआरा जाल समेटेगा !