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"तुमने क्या नहीं देखा / ठाकुरप्रसाद सिंह" के अवतरणों में अंतर

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नहीं, मुझे पहचाना
 
नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आंधी में
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धूल भरी आँधी में
  
 
जानोगे तब जब
 
जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊंगी
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कुहरे-सी घिर जाऊँगी
  
 
मैं क्या हूँ मौसम
 
मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊंगी !
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जो बार-बार आऊँगी !
 
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13:15, 28 फ़रवरी 2011 का अवतरण

तुमने क्या नहीं देखा
आग-सी झलकती में

तुमने क्या नहीं देखा
बाढ़-सी उमड़ती में

नहीं, मुझे पहचाना
धूल भरी आँधी में

जानोगे तब जब
कुहरे-सी घिर जाऊँगी

मैं क्या हूँ मौसम
जो बार-बार आऊँगी !