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"परीशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए / इक़बाल" के अवतरणों में अंतर
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जो मुश्किल अब हे या रब फिर वही मुश्किल न बन जाये | जो मुश्किल अब हे या रब फिर वही मुश्किल न बन जाये | ||
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− | न करदें मुझको मज़बूरे नवा फिरदौस में हूरें | + | न करदें मुझको मज़बूरे नवा फिरदौस में हूरें<br /> |
मेरा सोज़े दरूं फिर गर्मीए महेफिल न बन जाये | मेरा सोज़े दरूं फिर गर्मीए महेफिल न बन जाये | ||
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− | कभी छोडी हूई मज़िलभी याद आती है राही को | + | कभी छोडी हूई मज़िलभी याद आती है राही को<br /> |
खटक सी है जो सीने में गमें मंज़िल न बन जाये | खटक सी है जो सीने में गमें मंज़िल न बन जाये | ||
− | कहीं इस आलमें बे रंगो बूमें भी तलब मेरी | + | कहीं इस आलमें बे रंगो बूमें भी तलब मेरी<br /> |
वही अफसाना दुन्याए महमिल न बन जाये | वही अफसाना दुन्याए महमिल न बन जाये | ||
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− | अरूज़े आदमे खाकी से अनजुम सहमे जातें है | + | अरूज़े आदमे खाकी से अनजुम सहमे जातें है<br /> |
कि ये टूटा हुआ तारा महे कामिल न बन जा | कि ये टूटा हुआ तारा महे कामिल न बन जा |
14:44, 1 मार्च 2011 के समय का अवतरण
परीशाँ होके मेरी खाक आखिर दिल न बन जाये
जो मुश्किल अब हे या रब फिर वही मुश्किल न बन जाये
न करदें मुझको मज़बूरे नवा फिरदौस में हूरें
मेरा सोज़े दरूं फिर गर्मीए महेफिल न बन जाये
कभी छोडी हूई मज़िलभी याद आती है राही को
खटक सी है जो सीने में गमें मंज़िल न बन जाये
कहीं इस आलमें बे रंगो बूमें भी तलब मेरी
वही अफसाना दुन्याए महमिल न बन जाये
अरूज़े आदमे खाकी से अनजुम सहमे जातें है
कि ये टूटा हुआ तारा महे कामिल न बन जा