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"दुआ किसी की भी ख़िदमतगुज़ार होती नहीं / तुफ़ैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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यहां  पे  थोड़ी  बहुत  छूट  लेना  पड़ती  है  
 
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शराफ़तों  से  बुराई  शिकार  होती  नहीं
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शराफ़तों  से  बुराई  शिकार  होती  नहीं                                                              
                                                                                      अंधेरा  साज़िशें  करता  है  रात  दिन  लेकिन  
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किसी तरह भी उजाले की हार होती नहीं                                                                                            
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अंधेरा  साज़िशें  करता  है  रात  दिन  लेकिन  
                                                                                                उफूक उठा के  परों  पर,  उड़ान  भरते  हैं  
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किसी तरह भी उजाले की हार होती नहीं                                                      
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उफूक उठा के  परों  पर,  उड़ान  भरते  हैं  
 
हमारे  जैसे  परिन्दे  की  डार  होती  नहीं  
 
हमारे  जैसे  परिन्दे  की  डार  होती  नहीं  
  

13:03, 3 मार्च 2011 के समय का अवतरण

दुआ किसीकी भी ख़िदमतगुज़ार होती नहीं
किनारे बैठ के नद्दी तो पार होती नहीं

ये मोजिज़ा तो हमारे ही बस में है प्यारे
हवा दिये की कभी पहरेदार होती नहीं

यहां पे थोड़ी बहुत छूट लेना पड़ती है
शराफ़तों से बुराई शिकार होती नहीं

अंधेरा साज़िशें करता है रात दिन लेकिन
किसी तरह भी उजाले की हार होती नहीं

उफूक उठा के परों पर, उड़ान भरते हैं
हमारे जैसे परिन्दे की डार होती नहीं

नये ख़यालों को चुन-चुन के नज़्म करते हैं
ग़ज़ल हमारी कभी शर्मसार होती नहीं

मुखौटे चढ़ते हैं हमदर्दियों के चक्कर में
उदासी ग़म का मियां! इश्तहार होती नहीं