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"महकते फूल से लम्हों की जौलानी पलट आयी / तुफ़ैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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13:24, 3 मार्च 2011 के समय का अवतरण
महकते फूल से लम्हों की जौलानी पलट आयी
वो क्या लौटा कि घर में फिर फ़ज़ा धानी पलट आयी
कुमुक सूरज की आने तक तुझे ही जूझना होगा
चराग़े-शब वो अंधियारे की सुल्तानी पलट आयी
मुहब्बत करने वाले जानेमन! तन्हा नहीं रहते
तेरे जाते ही घर में देख वीरानी पलट आयी
बहुत मुश्किल है चढ़ते आंसुओं की धार पर टिकना
किनारे आ लगा था मैं कि तुग़ियानी पलट आयी
ज़रा मुहलत मुझे दी वक़्त ने सपने सजाने की
फिर उसके बाद मेरी हर परेशानी पलट आयी