भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"निस्पृह / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः अरुण कमल Category:कविताएँ Category:अरुण कमल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ मैंने...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=अरूण कमल | |
− | + | }} | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
मैंने कल के बारे में कुछ नहीं सोचा | मैंने कल के बारे में कुछ नहीं सोचा |
01:12, 25 अप्रैल 2008 का अवतरण
मैंने कल के बारे में कुछ नहीं सोचा
कल के लिए कुछ भी बचाया नहीं
मैंने तो सब कुछ लुटा दिया आज ही खुले हाथ
इन वृक्षों की तरह जिन्होंने झाड़ दिए सारे पत्ते
कभी न सोचा क्या होगा कल
और खड़े हैं बिल्कुल नंगे ।