भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कविता को फांसी / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी …)
 
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
एकत्र हो कर
 
एकत्र हो कर
 
दे दी अर्जी कचहरी में
 
दे दी अर्जी कचहरी में
हाकीम मे भिजवाया- समन कविता को
+
हाकीम मे भिजवाया-  
 +
समन कविता को
 
कचहरी में राजाज्ञा रखने
 
कचहरी में राजाज्ञा रखने
 
तारीख पर कविता हुई हाजिर
 
तारीख पर कविता हुई हाजिर

03:08, 6 मार्च 2011 के समय का अवतरण

कविता ने किया विरोध
अन्याय का, भ्रष्टाचार का
अपसंस्कृति का, शोषण का
एटम के परीक्षण का
तब कविता के बैरियों ने
एकत्र हो कर
दे दी अर्जी कचहरी में
हाकीम मे भिजवाया-
समन कविता को
कचहरी में राजाज्ञा रखने
तारीख पर कविता हुई हाजिर
पेशकार ने सुनाएं आरोप
कहा कविता को
अपना बयान देने के लिए
कविता ने कहा-
सारे आरोप सही हैं
दी जाए सजा
हाकीम ने दिया फैसला-
कविता को फांसी दी जाए ।


अनुवाद : नीरज दइया