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"तुम्हारे होने की / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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14:52, 6 मार्च 2011 के समय का अवतरण
पैरों तले धरती है
सिर पर खुला आकाश
है चारों तरफ खुली हवा
हवा कि जिस में
है तुम्हारे होने की सुगंध
कहीं भी जाऊं
तुम हो साथ मेरे
तब मुझे डर किस बात का !
अनुवाद : नीरज दइया