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"गीत-माधवी (प्रथम पद) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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लहरों के कलवर से शीतल  
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लहरों के कलरव से शीतल  
 
इस छाया के नीचे दो पल,
 
इस छाया के नीचे दो पल,
मैं थके हुये ये पद पसार,
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मैं थके हुए ये पद पसार,
 
सुन लूँ वह ध्वनि जो बार-बार,
 
सुन लूँ वह ध्वनि जो बार-बार,
 
आती है निराश प्राणों से चल ।
 
आती है निराश प्राणों से चल ।

20:45, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण

लहरों के कलरव से शीतल
इस छाया के नीचे दो पल,
मैं थके हुए ये पद पसार,
सुन लूँ वह ध्वनि जो बार-बार,
आती है निराश प्राणों से चल ।

(गीत माधवी, पृष्ठ 7)