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"पानी के गीत / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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जल का कल शब्द सुन | जल का कल शब्द सुन | ||
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21:07, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण
कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
युवती थी काँख में
सूनी गागर लिए
आती है दूर निज
उर को केन्द्रित किए
पानी के पास आ,
गगरी जल में डुबा
जल का कल शब्द सुन
तन-मन की सुध भुला
उठती क्यों गुनगुना ?