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"प्राण कोकिल / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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रसमाती पुलकित हो कोकिल | रसमाती पुलकित हो कोकिल | ||
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ऐ मेरे अन्तर की कोकिल | ऐ मेरे अन्तर की कोकिल | ||
− | + | बोलो! बोलो! बोलो ! | |
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21:16, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण
कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
ऐ मेरे प्राणों की कोकिल
कूको ! कूको! कूको
पुलकित कर दो सारे जग को
इस मधुवन के प्रिय पग-पग को
कंपित स्वर से आज लुभा दो
इस मधुवन के सरस विहग को
रसमाती पुलकित हो कोकिल
ऐ री कुछ तो बोलो
ऐ मेरे अन्तर की कोकिल
बोलो! बोलो! बोलो !