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"ऊँघता बैठा शहर / हरीश निगम" के अवतरणों में अंतर
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धूप ने | धूप ने |
20:38, 8 मार्च 2011 के समय का अवतरण
धूप ने
ढाया कहर
फूल घायल
ताल सूखे
हैं हवा के बोल रूखे,
बो रहा मौसम
ज़हर
धूप ने
ढाया कहर
हर गली
हर मोड़ धोखे
बंद कर सारे झरोखे,
ऊँघता बैठा
शहर
धूप ने
ढाया कहर