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"कुछ भी कर सकता हूँ मैं लौट जाने के सिवा / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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− | कुछ भी कर सकता हूँ मैं लौट के जाने के सिवा | + | कुछ भी कर सकता हूँ मैं लौट के जाने के सिवा<br /> |
− | कोई चारा नहीं दिल उसका दुखाने के सिवा | + | कोई चारा नहीं दिल उसका दुखाने के सिवा<br /> |
− | कब चिरागों से कोई काम लिया जायेगा | + | कब चिरागों से कोई काम लिया जायेगा<br /> |
− | क्या किया आपने भी घर को जलाने के सिवा | + | क्या किया आपने भी घर को जलाने के सिवा <br /> |
− | कोई तो नाला इ शबगीर पे बाहर निकले | + | कोई तो नाला इ शबगीर पे बाहर निकले <br /> |
− | कोई तो जाग रहा होगा दीवाने के सिवा | + | कोई तो जाग रहा होगा दीवाने के सिवा <br /> |
− | और मत देखिये अब अदले-जहाँगीर के ख्वाब | + | और मत देखिये अब अदले-जहाँगीर के ख्वाब <br /> |
− | और कुछ कीजिये ज़ंजीर हिलाने के सिवा | + | और कुछ कीजिये ज़ंजीर हिलाने के सिवा <br /> |
− | बाग़ की सैर से क्या फ़ायदा होना था मुझे | + | बाग़ की सैर से क्या फ़ायदा होना था मुझे <br /> |
− | कुछ भी तो चुन न सका ओस के दाने के सिवा | + | कुछ भी तो चुन न सका ओस के दाने के सिवा<br /> |
− | हद तो यह है की वह नाकाम रहा इसमें भी | + | हद तो यह है की वह नाकाम रहा इसमें भी<br /> |
− | और क्या करना था अब मुझको भुलाने के सिवा | + | और क्या करना था अब मुझको भुलाने के सिवा<br /> |
18:36, 9 मार्च 2011 का अवतरण
कुछ भी कर सकता हूँ मैं लौट के जाने के सिवा
कोई चारा नहीं दिल उसका दुखाने के सिवा
कब चिरागों से कोई काम लिया जायेगा
क्या किया आपने भी घर को जलाने के सिवा
कोई तो नाला इ शबगीर पे बाहर निकले
कोई तो जाग रहा होगा दीवाने के सिवा
और मत देखिये अब अदले-जहाँगीर के ख्वाब
और कुछ कीजिये ज़ंजीर हिलाने के सिवा
बाग़ की सैर से क्या फ़ायदा होना था मुझे
कुछ भी तो चुन न सका ओस के दाने के सिवा
हद तो यह है की वह नाकाम रहा इसमें भी
और क्या करना था अब मुझको भुलाने के सिवा