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13:18, 10 मार्च 2011 के समय का अवतरण
छोटा सा चन्दन का बूटा, हवा में खुशबू भर दे पेड़ उसके पास जो होवै, उसको चन्दन कर दे बांस अपने बडप्पन में डूबा, अपनी शेखी बघारे मैं ऊँचा हूँ मैं बड़ा हूँ, हर कोई मेरे सहारे चारों ओर हों चन्दन के बूटे, बीच में बांस लहरावै सालों सालों तना रहे पर, चन्दन की खुशबू न ले पावै पंछी न घर बना पाए बांस पे, पथिक के लिए न छाया फूल फल किसी काम न आवे, फिर भी अहंकार जताया झुकने से पूरा झुक जावे, झूठी नम्रता दिखलावे छोड़े से फिर से तन जावे, जाते जाते चोट लगावे ऐसा ही है मेरा जीवन, बुराईओं का है अंत ना कोई अच्छाई ना ले पाया किसी से, बांस के जैसे सुगंध ना कोई By Devinder Singh……….