भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वर्दी में / गणेश पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गणेश पाण्डेय  
 
|रचनाकार=गणेश पाण्डेय  
|संग्रह=परिणीता / गणेश पाण्डेय
+
|संग्रह=परिणीता / गणेश पाण्डेय; जल में / गणेश पाण्डेय
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}

23:46, 10 मार्च 2011 के समय का अवतरण

कई थीं
ड्यूटी पर थीं
कुछ तो बिल्कुल नई थीं

अँट नहीं पा रही थीं वर्दी में
आधा बाहर थीं आधा भीतर थीं ।

एक की खुली रह गई थी खिड़की
दूसरी ने औटाया नहीं था दूध
झगड़कर चला गया था तीसरी का मरद
चौथी का बीमार था बच्चा कई दिनों से
पाँचवीं जो कुछ ज़्यादा ही नई थी
गपशप करते जवानों के बीच
चुप-चुप थी

छठीं को कहीं दिखने जाना था
सातवीं का नाराज़ था प्रेमी
रह-रह कर फाड़ देना चाहता था
उसकी वर्दी ।