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"धुँए और ताबूत में / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर

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07:21, 11 मार्च 2011 के समय का अवतरण

जीती मरती दिन रात खटती
एड़ियाँ रगड़ती
इस विश्वास को पालते

कि कुछ भी कह ले
छत सूई की नोंक भर भी
उसकी ओर लपकेगी नहीं
कुछ भी कह ले

ज़मीन ज़रा-सी
 भी धँसेगी नहीं
पर लपकती है छत
धँसती है ज़मीन
चिमनी के धुँए सँग
चिथड़ा-चिथड़ा बिखरती
और कभी ताबूत में
होती है औरत