भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"असल में / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्र रेखा ढडवाल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> आदमी असल में…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:12, 12 मार्च 2011 के समय का अवतरण
आदमी असल में
एक घोड़ा
सवार बिठाए बिठाए
न भी दौड़े
एक काठी तो
बिँधी ही रहती है
उसकी माँस-मज्जा से.