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"तुम हँस सके / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर

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09:31, 12 मार्च 2011 के समय का अवतरण

विध्वंस के कगार पर
स्तब्ध खड़ी
सेनाओं के मध्य
तुम हँस सके
मैं इसी से मानती हूँ कृष्ण!
तुम अवतार थे
मनुष्य नहीं थे
प्रभु थे