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"मैंने समझा / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर

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08:28, 14 मार्च 2011 के समय का अवतरण

तुमने हँसी की होगी
दिन भर की की उकताहट
उड़ा देने को ही
उधेड़कर धागे
झटके से तोड़ दिए होंगें
और मैंने समझा
तार-तार मेरी चादर ने
तुम्हें उकसाया है