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"हिम्मतें टुकड़ा-टुकड़ा / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
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ऐसा नहीं है
कि उस औरत ने
हिम्मत नहीं दिखाई
बहुत-बहुत सह कर
बहुत-बहुत दिनों के अंतराल पर
कभी-कभार
अलग-अलग
और टुकड़ा-टुकड़ा
उसकी हिम्मतें पर
मर-खप गई