भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बगिया लहूलुहान / हबीब जालिब" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = हबीब जालिब }} {{KKCatNazm}} <poem> हरियाली को आँखे तरसें बगि…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:01, 14 मार्च 2011 के समय का अवतरण
हरियाली को आँखे तरसें बगिया लहूलुहान
प्यार के गीत सुनाऊँ किसको शहर हुए वीरान
बगिया लहूलुहान ।
डसती हैं सूरज की किरनें चाँद जलाए जान
पग-पग मौन के गहरे साए जीवन मौत समान
चारों ओर हवा फिरती है लेकर तीर-कमान
बगिया लहूलुहान ।
छलनी हैं कलियों के सीने खून में लतपत पात
और न जाने कब तक होगी अश्कों की बरसात
दुनियावालों कब बीतेंगे दुख के ये दिन-रात
ख़ून से होली खेल रहे हैं धरती के बलवान
बगिया लहू लुहान ।