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"प्यास की कैसे लाए / जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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उसका रखे हिसाब कोई | उसका रखे हिसाब कोई |
01:19, 16 जून 2007 का अवतरण
प्यास की कैसे लाए ताब कोई
नहीं दरिया तो हो सराब कोई
रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई
कौन सा ज़ख़्म किसने बख़्शा है
उसका रखे हिसाब कोई
फिर मैं सुन्ने लगा हूँ इस दिल की
आने वाला है फिर अज़ाब कोई